Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana Options
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जब हमें डर लगता है वास्तव में उसके पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है एक आम रूप में डर (भय) लगना स्वाभाविक है जिसे बच्चे, बूढ़े, नवजवान यहां तक अन्य जीव-जंतुओं में भी डर की प्रतिक्रियाए देखने को मिलती है
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पर इस चीज़ की गारंटी है की वो इन पैसों से कभी खुश और निर्भीक नहीं रह पायेंगे.
अपनी कल्पना का प्रयोग शांत होने के लिए करें, खुद को डराने के लिए नहीं।
फिजिकल फियर इस दौरान दिल की धड़कन अचानक से बढ़ जाती है, जल्दी-जल्दी सांस लेने लगते हैं, पेट में खलबली सी मच ने लगती है, पसीना आने लगता है, मुंह सूखने लगता, शरीर की कोशिकाओं में तनाव आने लगता है। हालांकि, बिना डर के आप खुद को खतरों के लिए खुला छोड़ देते हैं इसलिए डर लगना भी जरूरी है।
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यदि आप हमेशा सोचते हैं तो सबसे पहला कदम सक्रत्मकता हैं
केवल डर की प्रतिक्रियाओं को हि नहीं बल्कि आपको किन किन चीजों, लोगो या परिस्थितियों से डर लगता है इसकी सूची पहले बना ले। फिर जब कभी आप इस तरह की परिस्थिति का सामना करने में फंस जाएं तो खुद को याद दिलाए आपको इससे डर लगता है और खुद को शांत बनाए रखने का प्रयत्न करें।
एक वजह जुडी है भगवान् से और दूसरा कारण है वैज्ञानिक कारण. पहले जानते हैं भगवान् से जुड़ा हुआ कारण.
मै किसी के साथ कोई मनमुटाव नहीं रखना चाहता. तो इस तरीके से कोई ना कोई हल जरूर निकल जाएगा. अगर आपको सामने वाले से मिलने जाना है और अकेले जाने से डर रहे हैं तो साथ किसी विश्वासपात्र आदमी को लेकर जाइए.
उम्मीद है कोशिश करने से हर मसले का हल निकल ही जाता है.
इसके ठीक उलट जिन्हें भगवान् पर पूरा भरोसा होता है और उन्हें याद करते हैं वो लोग ज्यादा निर्भीक पाए जाते हैं.
डर आपको रोकता नहीं, आप खुद को रोक लेते हैं
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